Wednesday, July 3, 2013

क्षति ............. >>>>> गार्गी की कलम से

पेड़ पर चली कुल्हाड़ी 
पैरों पर पड़ गई 
खुशियाँ मातम में 
वदल गई 
गलती तो हुई 
और उसकी 
सजा भी मिली 
जो भावात्मक " क्षति " हुई 
उसकी पूर्ती क्या 
संभव है .....?
नहीं !
अगर हम 
अब भी ना चेते 
तो शायद 
संभलने का 
दूसरा मौका ना मिले ......

( गार्गी की कलम से )

धन्यवाद