छीन लो भगवान से उसकी सारी दौलत .......... खाली करदो उसके भरे हुए खजाने ........भगवान को क्या जरुरत रूपए - पैसे की , माफ़ कीजिये .. ये बात मैं नहीं कह रहा हूँ ... ये बात हमारे देश की एक बड़ी राजनैतिक पार्टी के मुखिया ने कही है ... ये मशविरा उन्होंने हमारे देश की सरकार को दिया है ! उन्होंने कहा है कि हमें हमारे देश के बड़े मंदिर ट्रस्टों , जिनके पास अरबों - खरबों की दौलत के भण्डार हैं , हमें उनसे उनकी दौलत छीनकर सरकारी खजाने में जमा करा लेनी चाहिए , जिससे इस देश की अर्थव्यवस्था को सुधारा जा सके , ये दौलत देश के विकास में सहायक का काम करेगी ! उनकी ये बात सुनकर मुझे तो बहुत गुस्सा आया ( भगवान को भी बहुत गुस्सा आया होगा ) ... मैंने सोचा कि मंदिरों की इस दौलत से भले ही इस देश की अर्थव्यवस्था ना सुधरे , भले ही देश के विकास में ये दौलत काम ना आये , किन्तु इस दौलत से देश के भ्रष्ट नेताओं , मंत्रियों , बेईमान , रिश्वतखोर अफसरों की स्वयं की अर्थव्यवस्था जरुर सुधर जाएगी ! पहले ही इस देश को भ्रष्ट मंत्री इतना लूट चुके हैं , उन्हें ये मालूम है की अब आम जनता के पास तो कुछ बचा नहीं ! अब उनके पास लूटने के लिए आखिर बचा क्या है ? " भगवान की दौलत " जिसे देखकर भ्रष्टाचारियों के मुंह में पानी सा आ गया है , इतनी दौलत उन्होंने इकट्ठी जो ना कभी देखि , अब सभी भ्रष्टाचारियों की निगाहें उस बेशकीमती धरोहर पर हैं जो पिछले सेकड़ों सालों से मंदिरों के गर्भ में सुरक्षित हैं ! इस दौलत पर सिर्फ आम जनता का हक है क्योंकि आज बहुत से मंदिरों पर जो करोड़ों का चढ़ावा आता है उसमें बहुत बड़ा योगदान आम जनता का है जो धर्म-आस्था के बशीभूत होकर अपनी मेहनत की कमाई इन मंदिरों पर दान करते हैं चढ़ाते हैं ना की उन लोगों का जो बेईमानी से कमाई गयी दौलत को मंदिरों पर सिर्फ इसलिए दान करते हैं जिससे की उनके द्वारा किये पाप थोड़े से कम हो जाएँ ! वर्ना भ्रष्टाचारियों का पेट तो इतना बड़ा है की जिसमें सारे जहाँ की दौलत भी डाल दी जाए तब भी शायद उनका पेट ना भर सके ...... माननीय नेताजी के सुझाव का मैं समर्थन करता हूँ ....... मैं उनकी सभी बातों का समर्थन करता हूँ ........... किन्तु मैं देश की सरकार ( यदि ईमानदार ) को एक सुझाव देना चाहूँगा की मंदिरों की दौलत छीनने से पहले सरकार को उन सभी भ्रष्ट मंत्रियों - संत्रियों , भ्रष्ट आला अधिकारीयों , बाबुओं , डॉक्टरों , इंजीनियर , साधू- संत इत्यादि ..... उन सभी से उनकी दौलत को छीन लेना चाहिए जो खाली हाँथ लेकर आये थे और जिन्होंने घोटाले और भ्रष्टाचार के दम पर अपनी तिजोरियों को भर रखा है , यदि ऐसा होता है तो शायद भगवान् की दौलत को छीनने में किसी को कोई परेशानी नहीं होगी ! सबसे पहले उन्हें विदेशी बैंकों ( स्विस बैंक ) में जमा " कालाधन " ( हराम की कमाई ) को बापस लाना होगा ! यदि ऐसा हो गया ( आने वाले 100 साल तक ऐसा नहीं होगा ) तो सरकार को मंदिरों में रखी अकूत संपदा को छीनने की आवश्यकता ही नहीं पड़ेगी ! क्योंकि विदेशों में हमारा इतना पैसा जमा है जो 4-5 छोटे-मोटे देशों की अर्थव्यवस्था को ठीक कर सकता है ! लेकिन ऐसा होगा नहीं क्योंकि इस देश में ईमानदार बहुत कम और बेईमान भरे पड़े हैं ! इस देश की दौलत को दीमक की तरह खाने वालों की नज़र अब भगवान की दौलत पर है ! क्या ये दौलत इन लुटेरों से बच पायेगी ................???
मैं तो कहता हूँ कि भगवान् की दौलत छीनने से पहले हमें देश के सभी भ्रष्टाचारियों की दौलत उनसे छीन लेनी चाहिए ........ और स्विस बैंक जैसा एक ऐसा बैंक बनाना चाहिए जिसमें दौलत जमा तो की जाए पर जिसे कोई कभी भी निकाल ना पाए !
धन्यवाद