Friday, July 9, 2010

जलता है दिल मेरा ....>>> संजय कुमार

मैं कोई मंजनू नहीं और ना ही कोई प्रेमी और ना बात हो रही है दिल-विल प्यार-व्यार की ! मैं एक आम इन्सान हूँ ! आप भी मेरी तरह अपने आस-पास होने बाली घटनाओं से चिंतित होंगे ! यहाँ बात कर रहे हैं देश के हालातों पर, सरकारी नीतियों पर ! आँख होते हुए भी अंधों की तरह सब कुछ देखने के बारे मैं ! बात कर रहे हैं निर्धन, गरीब, भूखों की, कुपोषण के शिकार मासूम बच्चों की ! एक-एक पैसे के लिए भटकते, अपनों से ठुकराए बुजुर्गों की, दर दर की ठोकर खाते कई किसानों की ! मौज करते सरकारी अधिकारीयों की , देश को लूटते भ्रष्ट मंत्रियों की ! आज देश मैं आम जनता त्राहि-त्राहि कर रही हैं और हमारी सरकार घोड़े बेचकर सो रही है ! कोई भूंख से मर रहा है तो कोई पानी के लिए एक-दूसरे की जान का दुश्मन बन गया हैं ! कोई नौकरी के लिए दर-दर भटक रहा है ! कोई न्याय पाने के लिए अपनी एड़ियां घिस रहा है ! स्थिती जस की तस !

आम आदमी सुबह से शाम तक मेहनत करता है तब जाकर वह अपने और अपने परिवार के लिए भोजन की व्यवस्था कर पाता हैं ! पूरा जीवन रोटी कपड़ा और मकान के चक्कर में निकाल देता है ! वहीँ सरकार की बेहद लापरवाही के कारण आज कई जगह हजारों लाखों टन अनाज सड़ रहा है और बर्बाद हो रहा है ! यह सब देखकर एक आम आदमी का दिल जलता है ! एक भिखारी सुबह से लेकर शाम तक भीख मांगकर दो मुट्ठी अनाज की दरकार में पूरा जीवन यूँ ही निकाल देता हैं ! देश में हर साल हजारों मौतें सिर्फ भूंख के कारण होती हैं ! कई राज्यों में आज भी, पोषित भोजन ना मिल पाने के कारण कई मासूम कुपोषण का शिकार हो रहे हैं ! इन सब पर हमारे सरकारी विभाग चैन से सो रहे हैं ! वहीँ देश की सरकार के झूठे वादे कि देश में सब कुछ ठीक हैं ! यह सब देख ..... जलता हैं दिल मेरा ... जहाँ देश में करोड़ों परिवार ऐसे हैं जो एक एक रूपए इकठ्ठा करने में पूरा जीवन निकाल देते हैं ! सरकार उन पर टैक्स लगाकर सरकार का खजाना भारती हैं ! बाद में वही खजाना सरकार की तिजोरियों से बाहर निकलकर देश से बाहर स्विस बैंकों में पहुँचता हैं ! देश में मंहगाई बढ़ती हैं ! आम जनता का जीना मुश्किल हो रहा हैं ! अरबों-खरबों का काला धन देश के बाहर पड़ा है ! आम जनता की जेब कट रही है ! यह सब देख ..... जलता है दिल मेरा .........

सरकार इक्कीसवीं सदी में जीने की बात कर रही है , देश में ऐसे कार्य ऐसी घटनाएं हो रही हैं जो हमें सेकड़ों साल पीछे ले जा रहे हैं ! इन्सान अपनों की जान ले रहा हैं ! भाई-भाई से लड़ रहा है ! ऊंचे पदों पर बैठे अधिकारी और मंत्री देश का बंटाधार कर रहे हैं ! सच्चाई , न्याय , अपनापन , इंसानियत लोगों से बहुत दूर है ! बेईमानी, झूंठ, धोखा, भ्रष्टाचार , आतंकवाद अपनी चरम सीमा पर है ! यह सब देख .............. जलता है दिल मेरा

क्या आप सरकार की नीतियों और उनके कार्यों से खुश हैं ? यदि नहीं तो अपना विरोध दर्ज कराएं .........

धन्यवाद

3 comments:

  1. विरोध तो दर्ज करना ही चाहिये.

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  2. गहन चिंतन का विषय है.. इसका कोई हल निकाले सरकार तभी ये दिल जलना बंद होगा..

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  3. ये सब ठीक होना ही चहिए...........

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