Saturday, June 5, 2010

क्या हैं, हमारी सभ्यता और संस्कृति....>>> संजय कुमार

भारतवर्ष पूरे विश्व मैं जाना जाता है अपनी सभ्यता और संस्कृति के लिए ! वह सभ्यता और संस्कृति जो पिछले सेकड़ों वर्षों से एक परम्परा के रूप मैं हमारे देश मैं चली आ रही है ! यह बात बिलकुल सही है! जिस कारण हम सब अपने आपको भारतीय कहने पर गर्व महसूस करते है ! और आगे भी करते रहेंगे ! क्योंकि जो सभ्यता और संस्कृति हमारे पास है वह पूरे विश्व कहीं नहीं ! हम लोगों का व्यव्हार ! फिर चाहे वह अपनों का मान-सम्मान, हम लोगों की एकता ! हजारों तरह की बोलियाँ , छोटे बड़े का आदर , माता-पिता का सम्मान ! हमारे यहाँ के रीति-रिवाज , हमारे यहाँ के व्रत, तीज-त्यौहार , हम लोगों मैं अपनत्व और अपनेपन का भाव ! हमारे देश मैं ही नारी को देवी का दर्जा प्राप्त है !और उसकी पूजा करना ! और बहुत कुछ है जो हमारी सभ्यता और संस्कृति को वयान करती हैं ! आज देश मैं सभी को समान अधिकार , स्वतंत्रता , अपने अधिकार के लिए लड़ने कि आजादी ! सब कुछ है ! जो भारतवर्ष को एक अलग छवि प्रदान करता है ! हमारी सभ्यता और संस्कृति इतनी महान हैं ! जिसे सीखने और समझने के लिए पिछले कई वर्षों से विदेशी सैलानी , साहित्यकार , लेखक , और ना जाने कितने महान लोग यहाँ भारत मैं डेरा डाले रहते हैं ! तो अब बताएं आप , है ना हमारी सभ्यता और संस्कृति सबसे महान !

हम सभी अपनी सभ्यता और संस्कृति कि हर जगह बढ़ाई करते फिरते हैं ! लेकिन हमारे देश मैं ऐसा बहुत कुछ हो रहा है ! जिससे हमारी सभ्यता और संस्कृति को धब्बा लग रहा है ! और देश की अच्छी छवि धूमिल हो रही है ! आज देश मैं सभ्यता और संस्कृति को शर्मशार करने बाले ऐसे काम हो रहे हैं! जो हमें कई वर्षों पीछे धकेल रहे हैं ! हम सब रोज ऐसे कारनामे सुनते हैं ! जहाँ इन्सान के अन्दर की इंसानियत पूरी तरह से मर चुकी है ! जहाँ देश मैं हम नारी-सशक्तिकरण की बात कर रहे हैं , महिला आरक्षण की बात कर रहे हैं ! वहीँ दूसरी और महिलाओं के साथ ऐसा दुर्व्यवहार हो रहा है ! जहाँ यह सब धरा का धरा रह जाता है ! आज भी देश के कई गाँवों मैं महिलाओं को जिन्दा मारा जा रहा है ! कभी उसको डायन बनाकर पूरे गाँव के सामने पत्थर मार-मार कर मारडाला जाता है ! तो कभी उसे अपने ही पति के साथ जिन्दा जला दिया जाता है ! सती का नाम देकर ! क्या यही है हम लोगों की सभ्यता और संस्कृति ! कभी धर्म के नाम पर तो कभी झूंठी परम्पराओं के लिए आज इन्सान, इन्सान की जान का दुश्मन बन गया है ! आज हम सब ऐसे रूडी-वादी समाज मैं जी रहे हैं , जहाँ पर इन्सान का कोई मूल्य नहीं है ! अगर हैं तो झूंठ और दिखावी परम्पराओं का ! आज इन्सान के लिए पैसा ही सब कुछ हो गया है ! जिसकी खातिर इन्सान सारी सभ्यता और संस्कृति को ताक पर रख कर काम कर रहा है ! देश मैं महिलाओं का क्रय-विक्रय हो रहा है ! कुछ लोग तंत्र मंत्र का सहारा लेकर छोटे छोटे मासूम बच्चों की बलि चढ़ा रहे हैं ! आज हम लोगों की सभ्यता और संस्कृति सिर्फ कागजी किताबों मैं और झूंठ और आधुनिक दुनिया के दिखावे मैं कहीं खो गयी है ! और आज हम लोग ही वदनाम कर रहे हैं इस देश की सुन्दर सभ्यता और संस्कृति को ! आज हम लोग ही अपनी सभ्यताओं को छोड़कर दूसरी सभ्यताओं के पीछे भाग रहे हैं ! क्योंकि हम लोगों ने कभी अपनी सभ्यता और संस्कृति के बारे मैं ठीक ढंग से जाना ही नहीं ! तो फिर कैसे जान पाएंगे की क्या हैं हमारी सभ्यता और संस्कृति !

धन्यवाद

11 comments:

  1. हमारी सभ्यता और संस्कृति इतनी महान हैं ! जिसे सीखने और समझने के लिए पिछले कई वर्षों से विदेशी सैलानी , साहित्यकार , लेखक , और ना जाने कितने महान लोग यहाँ भारत मैं डेरा डाले रहते हैं ! तो अब बताएं आप , है ना हमारी सभ्यता और संस्कृति सबसे महान !

    Pooree tarah Sahmat 100% Agreed with you sanjay ji.

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  2. जनाब सैंकड़ों नहीं अरबों बर्ष से चली आ रही है हमारी संसकृति जिसे भौतिकवाद निगलने का प्रयत्न कर रहा है

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  3. सभ्यता और संस्कृति परिवर्तनशील है पर धरोहरों को तो बचाना ही होगा.

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  4. अच्छा बुरा तो हर समाज ... हर सांस्कृति में होता है .. ज़रूरत है बुरे को निकाल अच्छे को ग्रहण करने की .... इतना मेरा दावा है अपनी सांस्कृति में अच्छा ज़्यादा मिलेगा अगर खोजने वाले हों तब ....

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  5. भारतवर्ष पूरे विश्व मैं जाना जाता है अपनी सभ्यता और संस्कृति के लिए !---बहुत शानदार वक्तव्य; पर सभी देश अपनी सभ्यता-सन्स्क्रिति के लिये जाने जाते हैं; अतः लिखना चाहिय---अपनी विशिष्ट समन्वय, समता व मानव वादी..... के लिये.

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  6. हमें हमारी सभ्यता और संस्कृति को बचाए रखना जरूरी है
    अच्छा आलेख

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  7. अच्छा बुरा तो हर समाज ... हर सांस्कृति में होता है

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  8. संजय जी.. बेशक हमारा इतिहास, सभ्यता और संस्कृति औरों से कई गुना बेहतर रही है. लेकिन यह दुखद है, आज की तारीख में हम यह नहीं कह सकते क्योंकि अच्छाइयों की तुलना में बुराइयां कई गुना बढ़ चुकी हैं अब यहाँ.. और इसके जिम्मेवार कहीं ना कहीं हम लोग ही हैं..

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  9. आज हम लोगों की सभ्यता और संस्कृति सिर्फ कागजी किताबों मैं और झूंठ और आधुनिक दुनिया के दिखावे मैं कहीं खो गयी है !
    .... आज हम लोग ही अपनी सभ्यताओं को छोड़कर दूसरी सभ्यताओं के पीछे भाग रहे हैं !
    Chintanprad saarthak prastuti ke liye dhanyavaad

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  10. मेरी बात शायद कडवी लगे लेकिन सच्चाई यही है की संस्कृति कहाँ बची है ,आधुनिकता के नाम पर नंगापन का खुला प्रदर्शन होता है कुछ लोगों को आज़ादी के नाम पर देह दर्शन करते हैं क्या देह दर्शन करवाना ही आधुनिकता है ? बड़े बड़े होर्डिंग्स पर अर्धनग्न या उससे ज्यादा ही देह दर्शन करवाया जाता है यही काम पत्र पत्रिकाओं के पन्ने पर दिखाई देता है ..है किसी में हिम्मत जो इसका विरोध कर ले | हमारी संस्कृति विद्यालयों तथा महाविद्यालयों की विषय वस्तु तक ही अच्छी लगती है जिस तरह नैतिक शिक्षा में नैतिक शब्द गायब हो गया है

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